Description
सन १९७३ में जब हमने ‘लोक बिरादरी प्रकल्प शुरू किया तब यहॉं के माडिया गोंड आदिवासी लोग भूख,बीमारी तथा अंधविश्वास के घेरे में बुरी तरह जकड़े हुए थे।भामरागड जंगल के पार एक और दुनिया है,इसकी जानकारी भी उन्हें नहीं थी।
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सन १९७३ में जब हमने ‘लोक बिरादरी प्रकल्प शुरू किया तब यहॉं के माडिया गोंड आदिवासी लोग भूख,बीमारी तथा अंधविश्वास के घेरे में बुरी तरह जकड़े हुए थे।भामरागड जंगल के पार एक और दुनिया है,इसकी जानकारी भी उन्हें नहीं थी।
Weight | 198 g |
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ISBN | 35124 |
Number of pages | 156 |
Publisher | samkalin prakashan |
Year of Publishing | 1st/2016 |
सन १९७३ में जब हमने ‘लोक बिरादरी प्रकल्प शुरू किया तब यहॉं के माडिया गोंड आदिवासी लोग भूख,बीमारी तथा अंधविश्वास के घेरे में बुरी तरह जकड़े हुए थे।भामरागड जंगल के पार एक और दुनिया है,इसकी जानकारी भी उन्हें नहीं थी।
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